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धनतेरस के देवता धन्वंतरि को क्यों कहा जाता है आयुर्वेद का भगवान, जानिए क्या है मान्यता

 


दिवाली से 2 दिन पहले त्रयोदशी के दिन धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन लोग घरों में मां लक्ष्मी, कुबेर और आरोग्य के देवता  धन्वंतरि की पूजा करते हैं। धनतेरस पर लोग ऐसी चीजें खरीदते हैं जिससे घर में बरकत हो और मा लक्ष्मी की कृपा बनी रहे। इस दिन धातु, झाड़ू, पान के पत्ते, नमक और धनिया खरीदना शुभ माना गया है। इस दिन  धन्वंतरि की पूजा करने के पीछे की विषेश कहानी है।

कौन थे धन्वंतरी देवता?

धार्मिक ग्रंथों और पौराणिक कथा के अनुसार  धन्वंतरि देवता समुद्र मंथन से प्रकट हुए थे। उन्हें आयुर्वेद का प्रणेता और चिकित्सा का देवता माना गया है।  धन्वंतरि आपके जीवन में आरोग्यता लाते हैं। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि धन्वंतरि की पूजा करने से रोगों से मुक्ति मिलती है और आप आरोग्यता की प्राप्ति करते हैं।

क्यों की जाती है धनतेरस पर धन्वंतरि देव की पूजा?

पौराणिक कथाओं के अनुसार जब समुद्र मंथन हो रहा था तो एक एक करके चौदह रत्नों की प्राप्ति हुई थी। समुद्र मंथन में सबसे बाद में अमृत निकला था। कहा जाता है कि इस कलश को लेकर भगवान धन्वंतरि समुद्र से बाहर आए थे। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए धनतेरस पर धन्वंतरि देवता की पूजा की जाती है।

आयुर्वेद के देवता हैं धन्वंतरि

भारत में आयुर्वेद धर्म से जुड़ा है। दुनिया की सबसे प्राचीन चिकित्सा पद्धिति में आयुर्वेद को जिक्र किया जाता है। आयुर्वेद का सीधा संबंध भगवान धन्वंतरि से है। यही वजह है कि धनतेरस के दिन हर साल नेशनल आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाया जाता है। आयुष मंत्रालय हर साल धन्वंतरि जयंती पर लोगों को स्वास्थ्य और दैनिक जीवन में आयुर्वेद के महत्व को बताने और जागरूकता बढ़ाने का काम करता है।

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