-डेढ़ दशक से मरीजों की जान से खेल रहे इस 'वीआईपी' झोलाछाप की कोरोना काल में बनकर आई एमडी मेडिसिन की डिग्री में नाम के आगे लगी टाइटिल भी बदल गई l इसने नकली दवाओं के जखीरे वाले क्षेत्र नईगंज में जब अपनी दुकान खोली तब एक डॉक्टर से हुआ पंगा तो खुल गई पोल l
-जौनपुर शहर से मडीयाहूँ रोड पर इसने हाल ही में खोला है निजी अस्पताल, दूसरी शादी जिस महिला से की है वह भी तलाक़शुदा है, लेकिन बीएचयू से वह वेल क्वालीफाइड यानी जनरल सर्जन है लेकिन मरीजों की भीड़ फ़र्जी एमडी मेडिसिन वाले के नाम पर होती हैl
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-कैलाश सिंह-
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लखनऊ/जौनपुर, (तहलका विशेष)l किसी भी डॉक्टर के डिग्री की सही परख के लिए उसके नीट यूजी और नीट पीजी के अलावा उसके द्वारा जिस संस्थान से इंटर्नशिप ( प्रशिक्षण) लिया गया है उसका प्रमाण अहम होता है l यही तीनों प्रमाण उस झोलाछाप के पास नहीं हैं, जिसने बिहार- झारखंड और छत्तीसगढ़ में फैले उस गिरोह के जरिये आसाम से एमबीबीएस, एमडी मेडिसिन की फ़र्जी डिग्री 35 लाख में हासिल की है वह भी कोरोना काल में, जब बगैर परीक्षा दिए भी सामान्य कक्षाओं में छात्रों को औसत मार्क्स पर पास किया जा रहा था l
दिलचस्प पहलू तो ये है कि बगैर डिग्री के यह डेढ़ दशक से जौनपुर शहर के एक अस्पताल में प्रैक्टिस करता रहा, जब उसे लगा कि वह अपना अस्पताल चलाने के काबिल हो गया है तब इसने नकली दवाओं के जखीरे वाले क्षेत्र नईगंज में अपनी दुकान (निजी क्लिनिक) खोल ली l यहां वह एक पढ़े- लिखे डॉक्टर के मरीज की दवा को काट दिया तो उस डॉक्टर ने दवा को लेकर उसे चैलेंज कर दिया, बस यहीं से पंगा बढ़ा तो दो डॉक्टरों ने इसके डिग्री की पड़ताल शुरू कर दी l आर टी आई से मांगी गई सूचनाओं में उसकी डिग्री देने वाले संस्थानों ने इसकी बदली टाइटिल वाले नाम के छात्र होने पर इनकार कर दिया l
पंगा बढ़ता देख यह वीआईपी झोलाछाप नईगंज से अपनी दुकान हटाकर उस सिटी टॉवर में लगा लिया जिसका भवन ही अवैध है l यहाँ भी टॉवर में अलग से बढ़ता पंगा देख इसने पॉलीटेक्निक चौराहे के पास एक चिकित्सक के बने नए अस्पताल भवन में किराए पर अपनी दुकान सजाई l यहाँ भी सफ़ल नहीं हुआ तब जाकर इसने उसी मडीयाहूँ रोड पर अस्पताल खोला है जहां वह एक अस्पताल में वर्षों तक प्रैक्टिस किया थाl अब इसके नए नर्सिंग होम में मरीजों की भरमार है l
इसकी डिग्री की पड़ताल में लगे एक डॉक्टर अपने गृह जनपद प्रतापगढ़ में शिफ्ट हो गए तो पंगा भी कम हो गया l इधर एक हफ्ते से इसके पसीने तब छूटने लगे हैं जब से मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ ने झोलाछाप चिकित्सकों की जांच के आदेश दिए हैं l सीएम द्वारा जारी आदेश के बाद से बड़े नौकरशाहों की बढ़ी सक्रियता के चलते प्रदेश भर के जिला प्रशासन और स्वास्थ्य महकमों की रफ़्तार भी तेज़ हो गई है l इसके चलते नकली दवाओं की बिक्री को संरक्षण देने वाले भी सचेत होकर पैतरा बदलने में लगे हैंl
स्वास्थ्य महकमे के सूत्रों पर भरोसा करें तो नकली और प्रतिबंधित दवाओं की खपत में लगे गिरोह यह धंधा तो बन्द नहीं करेंगे, क्योंकि इसे संरक्षण देने वालों को अकेले जौनपुर जिले के डेढ़ हजार से अधिक मेडिकल स्टोर्स से कुल 45 लाख रुपये हर महीने सुविधा शुल्क के रूप में मिल रहे हैं l इसी तरह मेडिकल कॉलेज में स्टाफ भर्ती के मामले में चल रही अनियमितता भी सुर्खियों में आने लगी है l ये है प्रदेश भर के लिए जौनपुर की बानगी l इन मामलों की विस्तृत रिपोर्ट अगले एपिशोड में मिलती रहेगीl,,,,,,,, क्रमशः