जिले के मछलीशहर क्षेत्र को बरईपार गांव से जोड़ने वाली मुख्य संपर्क सड़क इन दिनों खतरनाक गड्ढों में तब्दील हो गई है। लगभग 8 किलोमीटर लंबी इस सड़क पर 200 से अधिक गड्ढे बन चुके हैं, जिससे आमजन को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह सड़क बीते एक साल में तीन बार बनाई गई, लेकिन फिर भी इसकी हालत लगातार बदतर होती जा रही है।
महज दो महीने पहले हुई थी मरम्मत, अब फिर वही हालात
जानकारी के मुताबिक, इस सड़क की पैचिंग मात्र दो महीने पहले ही पूरी की गई थी, लेकिन पहली ही बारिश में मरम्मत की पोल खुल गई। कई जगहों पर सड़क की बिटुमिन परत उखड़ चुकी है, तो कहीं गड्ढे इतने गहरे हो चुके हैं कि दोपहिया वाहन चालकों का संतुलन बिगड़ना आम बात हो गई है।
स्थानीय निवासी राजेश सिंह ने बताया,
“यह सड़क बरईपार और आस-पास के दर्जनों गांवों को मछलीशहर बाज़ार से जोड़ती है। किसानों, मजदूरों, छात्रों और व्यापारियों का रोज़ का आना-जाना इसी पर होता है। लेकिन अब यह सड़क नहीं, जान का खतरा बन चुकी है।”
ठेकेदार और विभाग पर सवाल
ग्रामीणों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने सवाल उठाया है कि आखिर एक साल में तीन बार बनाई गई सड़क बार-बार क्यों उखड़ रही है? मरम्मत के बाद भी अगर सड़क कुछ हफ्तों में ही खराब हो जाती है, तो क्या यह सरकारी धन की बर्बादी नहीं है?
सूत्रों की मानें तो इस सड़क का निर्माण कार्य स्थानीय लोक निर्माण विभाग (PWD) की देखरेख में कराया गया था। लेकिन गुणवत्ता की जांच न किए जाने के कारण बार-बार इसकी हालत खराब हो रही है।
स्कूल जाने वाले बच्चों और मरीजों को हो रही परेशानी
बरईपार और आस-पास के गांवों से हर दिन सैकड़ों बच्चे स्कूल और कॉलेज जाते हैं। इन गड्ढों के कारण अब उन्हें देर से पहुंचने, चोट लगने और कई बार वाहन फिसलने जैसी घटनाओं का सामना करना पड़ता है।
प्रशासन से कार्रवाई की मांग
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि इस सड़क की स्थिति का निरीक्षण कर दोषी अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। साथ ही, सड़क के निर्माण में स्थायी और गुणवत्तापूर्ण कार्य सुनिश्चित किया जाए।
मछलीशहर तहसील के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि,
“हमें शिकायतें मिली हैं। एक टीम को भेजा जा रहा है जो सड़क की स्थिति और पूर्व में किए गए कार्य की जांच करेगी। अगर कोई गड़बड़ी पाई गई तो कार्रवाई की जाएगी।”