समृद्धि शताब्दी पर्व 2047 के अंतर्गत जौनपुर में “विकसित भारत की परिकल्पना” विषय पर अभिमुखीकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में शिक्षा, किसान, उद्यमी, विज्ञान एवं मानवाधिकार से जुड़े लोग भारी संख्या में उपस्थित रहे। जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक सहित वरिष्ठ अधिकारी एवं विशेषज्ञ वक्ताओं ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किये।
आयोजक एवं मुख्य अतिथि
-
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ।
-
उपस्थित अधिकारी‑वक्ताओं में सेवानिवृत्त आईपीएस राजकुमार विश्वकर्मा, प्रमोद कुमार, मानवाधिकार आयोग की सचिव धनलक्ष्मी, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. सुरेश कन्नौजिया, प्रो. धरनीधर दुबे, जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चंद्र, पुलिस अधीक्षक डॉ. कौस्तुभ शामिल रहे।
-
बेसिक शिक्षा विभाग के छात्रों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया।
-
सर्वाधिक जीएसटी जमा करने वाले उद्यमियों को प्रशस्ति पत्र दिये गये।
सरकारी योजनाओं से लाभान्वित लोगों को संकेतात्मक चेक प्रदान किये गये।
खेल तथा शिक्षा क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वालों का सम्मान किया गया।
मिड‑डे मील की शिक्षिकाओं को, स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा निर्मित अचार के माध्यम से प्रतीकात्मक सम्मान दिया गया।
मुख्य बातें व सुझाव
-
राजकुमार विश्वकर्मा ने कहा कि कृषि क्षेत्र में फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स स्थापित करने की आवश्यकता है ताकि किसानों को कृषि उत्पादों से बेहतर मूल्य मिल सके तथा किसानों का आर्थिक सशक्तिकरण हो।
-
सचिव मानवाधिकार आयोग धनलक्ष्मी ने कहा कि जौनपुर में प्रतिभा और पर्यटन के बहुत अवसर हैं, और ये क्षेत्र “विकसित भारत 2047” की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान कर सकते हैं।
-
कार्यक्रम में शिक्षाविदों, ग्राम प्रधानों और उद्यमियों ने भी सुझाव दिए कि कैसे स्थानीय स्तर पर योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू किया जाए, और किस तरह से संसाधनों की कमी को दूर किया जा सके।
जिलाधिकारी की भूमिका एवं संदेश
-
जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चंद्र ने सभी नोडल अधिकारियों और उपस्थित लोगों का आभार व्यक्त किया।
-
उन्होंने कहा कि ऐसी कार्यशालाएँ जागरूकता फैलाने और सरकारी व सामाजिक योजनाओं को मजबूत बनाने का माध्यम हैं।
