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जौनपुर: आईजीआरएस शिकायतों के निस्तारण में लापरवाही, 18 अधिकारियों का वेतन रोका गया

 जौनपुर — जिले में एकीकृत शिकायत निवारण प्रणाली (IGRS) के अंतर्गत प्राप्त शिकायतों के निस्तारण में गंभीर लापरवाही और लचर कार्यप्रणाली सामने आई है। अगस्त माह की समीक्षा बैठक में जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चंद्र ने जिले की खराब रैंकिंग और शिकायतकर्ताओं द्वारा दिए गए असंतोषजनक फीडबैक पर कड़ी नाराजगी जताई है।



सबसे खराब प्रदर्शन तहसीलदार सदर का

समीक्षा में पाया गया कि कई शिकायतों का निस्तारण बिना स्थलीय निरीक्षण के किया गया। इसके अलावा शिकायतों के समाधान के बाद मिलने वाले फीडबैक कॉल्स में अधिकांश शिकायतकर्ता असंतुष्ट पाए गए। सबसे खराब स्थिति तहसीलदार सदर की रही, जिन्हें प्राप्त फीडबैक बेहद नकारात्मक रहा। इसी तरह तहसीलदार मड़ियाहूं और शाहगंज का प्रदर्शन भी असंतोषजनक पाया गया।

18 अधिकारियों का एक दिन का वेतन रोका गया

जिलाधिकारी ने समीक्षा में खराब प्रदर्शन करने वाले 18 अधिकारियों का एक दिन का वेतन रोकने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही सभी संबंधित अधिकारियों को तीन दिनों के अंदर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देने के आदेश भी जारी किए गए हैं। असंतोषजनक या समय से स्पष्टीकरण न देने की स्थिति में आगे की अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।

जिन अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है, उनमें शामिल हैं:

  • अधिशासी अभियंता, विद्युत प्रथम (नोडल)

  • प्रभागीय वनाधिकारी

  • सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक

  • जिला विद्यालय निरीक्षक

  • जिला युवा कल्याण अधिकारी

  • तहसीलदार – सदर, मड़ियाहूं, शाहगंज, बदलापुर, मछलीशहर

  • खंड विकास अधिकारी – बरसठी, जलालपुर, करंजाकला, धर्मापुर, सिरकोनी

  • अधिशासी अधिकारी – नगर पंचायत बदलापुर, नगर पालिका जौनपुर, नगर पालिका मड़ियाहूं

जिलाधिकारी ने क्या कहा?

डॉ. दिनेश चंद्र ने कहा कि शिकायतों के समाधान के बाद शासन स्तर से भी दोबारा कॉल के माध्यम से फीडबैक लिया जाता है। यदि शिकायतकर्ता संतुष्ट नहीं होता, तो उसका फीडबैक अंक जिला प्रदर्शन को प्रभावित करता है। इसी कारण जिले की प्रदेश स्तरीय रैंकिंग गिर गई, जो प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े करता है।

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