नगर पालिका परिषद जौनपुर में शासन स्तर से स्थानांतरण के आदेश के बावजूद चार अधिकारियों द्वारा कार्यभार न संभालना अब शहरवासियों की बुनियादी सुविधाओं पर असर डाल रहा है। तैनाती आदेश जारी हुए दो महीने से अधिक बीत चुके हैं, लेकिन संबंधित अधिकारियों ने अब तक अपनी जिम्मेदारियां नहीं संभाली हैं, जिससे प्रशासनिक व्यवस्था चरमराने लगी है।
चार प्रमुख पद अब भी खाली, कामकाज ठप
नगर पालिका परिषद में जिन चार महत्वपूर्ण पदों पर अधिकारियों की तैनाती की गई थी, वे अभी तक कार्यभार ग्रहण करने नहीं पहुंचे हैं। ये पद हैं:
-
सहायक अभियंता (जलकल) – जटाशंकर पटेल (तैनाती: 22 अगस्त 2024)
-
अवर अभियंता (सिविल) – अखिलेश कुमार पाल (तैनाती: 3 जुलाई 2024)
-
सफाई एवं खाद्य निरीक्षक – राजेंद्र सिंह (तैनाती: 28 जून 2024)
-
राजस्व निरीक्षक – सौरभ त्रिपाठी (तैनाती: 3 जुलाई 2024)
इन पदों पर तैनात किए गए अधिकारी पूर्व के निकायों से स्थानांतरित होकर जौनपुर नगर पालिका में भेजे गए थे, लेकिन आदेश के बावजूद उन्होंने अभी तक अपना कार्यभार नहीं संभाला है।
नगरपालिका की अपील पर भी नहीं हुई कार्रवाई
नगर पालिका परिषद, जौनपुर के अधिशासी अधिकारी ने इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए पहले 15 जून 2024 को ही निदेशालय को पत्र भेजकर खाली पदों पर तैनाती की मांग की थी। उसके बाद निदेशालय से तैनाती आदेश भी जारी हुए।
अब जबकि अधिकारी कार्यभार ग्रहण नहीं कर रहे हैं, अधिशासी अधिकारी ने जिलाधिकारी के माध्यम से नगरीय निकाय निदेशक को एक और पत्र भेजकर दोबारा अनुरोध किया है कि इन पदों पर या तो तैनात अधिकारियों को कार्यभार ग्रहण करने के लिए बाध्य किया जाए या फिर नए अधिकारियों की तत्काल तैनाती की जाए।
साढ़े तीन लाख की आबादी पर असर
नगर पालिका परिषद जौनपुर का कार्यक्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है। यहां स्थायी जनसंख्या तीन लाख से अधिक है, जबकि प्रतिदिन औसतन 50 हजार अस्थायी लोग विभिन्न कारणों से शहर में प्रवेश करते हैं। इस तरह कुल अनुमानित दैनिक जनसंख्या साढ़े तीन लाख के आसपास पहुंच रही है।
इतनी बड़ी आबादी को नगर पालिका को प्रतिदिन पेयजल आपूर्ति, सफाई, सड़कों व गलियों की मरम्मत, कर संग्रहण, स्ट्रीट लाइटिंग जैसी सुविधाएं उपलब्ध करानी होती हैं। लेकिन महत्वपूर्ण पदों पर अधिकारियों की अनुपस्थिति के चलते इन सेवाओं पर सीधा असर पड़ा है।
जनता परेशान, कामकाज ठप
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि
“गर्मियों में जल संकट गहराता जा रहा है, जलकल विभाग का जिम्मेदार अधिकारी ही नहीं है। कई मोहल्लों में कूड़ा उठान नियमित नहीं हो रहा, जबकि बरसात में नालियों की सफाई बेहद जरूरी थी।”
इसके अलावा राजस्व विभाग में लंबित फाइलों का अंबार लगा हुआ है। करदाता कर भुगतान के लिए परेशान हैं, लेकिन कोई जवाबदेह अधिकारी मौजूद नहीं है।
प्रशासनिक उदासीनता पर उठे सवाल
यह स्थिति राज्य शासन के प्रशासनिक तंत्र पर भी सवाल खड़े करती है। तैनाती आदेश का पालन न करना सरकारी सेवा नियमों का उल्लंघन है, इसके बावजूद अभी तक न तो इन अधिकारियों के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है, न ही वैकल्पिक व्यवस्था की गई है।
नगर पालिका के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया,
“हम हर स्तर पर पत्राचार कर रहे हैं, लेकिन अब तक कोई हल नहीं निकला। जब अधिकारी ही नहीं होंगे, तो योजनाएं जमीन पर कैसे उतरेंगी?”
