जौनपुर — वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP)–2020 के तहत स्नातक स्तर के छात्रों के लिए एक नई व्यवस्था लागू की है। अब विश्वविद्यालय उन छात्रों के लिए विशेष को-करिकुलर परीक्षा आयोजित करेगा, जो प्रथम वर्ष से अंतिम (छठे) सेमेस्टर तक की को-करिकुलर परीक्षाओं में अनुत्तीर्ण (फेल) या अनुपस्थित रहे हैं।
इस नई पहल का उद्देश्य छात्रों को शिक्षा में बाधाओं से मुक्त करना और उन्हें स्नातक की डिग्री प्राप्त करने का पूर्ण अवसर प्रदान करना है।
📘 क्या है नई व्यवस्था?
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को-करिकुलर परीक्षाएं अब स्नातक डिग्री के लिए अनिवार्य होंगी।
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यदि कोई छात्र किसी सेमेस्टर की को-करिकुलर परीक्षा में फेल हो गया है या गैरहाजिर रहा है, तो उसके लिए विशेष परीक्षा आयोजित की जाएगी।
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यह व्यवस्था बीए, बीएससी, बीकॉम, बीबीए, बीसीए और विश्वविद्यालय परिसर के अन्य स्नातक पाठ्यक्रमों के छात्रों पर लागू होगी।
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यह नियम सभी छह सेमेस्टर के छात्रों के लिए मान्य होगा।
🎯 परीक्षा के अंक मेरिट में नहीं जुड़ेंगे
विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि इस विशेष परीक्षा के अंक मेरिट लिस्ट में शामिल नहीं किए जाएंगे, लेकिन स्नातक डिग्री प्राप्त करने के लिए इसे पास करना आवश्यक होगा। यह परीक्षा केवल शैक्षिक योग्यता पूरी करने की शर्त के रूप में देखी जाएगी।
🧑🏫 कुलपति डॉ. वंदना सिंह की पहल
यह व्यवस्था कुलपति डॉ. वंदना सिंह के निर्देश पर लागू की गई है। विश्वविद्यालय प्रशासन का मानना है कि इससे छात्रों को नई शिक्षा नीति के अनुरूप विकसित किया जा सकेगा और उनकी समग्र शिक्षा सुनिश्चित होगी।
“हमारा प्रयास है कि हर छात्र को अपनी शिक्षा पूरी करने का समान अवसर मिले। को-करिकुलर गतिविधियां केवल पूरक नहीं, बल्कि समग्र विकास का अभिन्न हिस्सा हैं।”
— डॉ. वंदना सिंह, कुलपति
🎓 को-करिकुलर शिक्षा क्यों है जरूरी?
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में को-करिकुलर (सह-पाठ्यक्रम) गतिविधियों को विद्यार्थियों के कौशल विकास, सामाजिक समझ, और व्यक्तित्व निर्माण के लिए अनिवार्य माना गया है। इस दिशा में पूर्वांचल विश्वविद्यालय का यह कदम छात्रों को समग्र शिक्षा मॉडल की ओर ले जाने वाला है।