मध्य प्रदेश के इंदौर जिले की 9 विधानसभा सीटों पर होने वाले चुनावों में हर बार की तरह इस बार भी मुख्य उम्मीदवारों के असली नामों पर उनके प्रचलित उपनाम भारी पड़ रहे हैं। सोशल मीडिया से लेकर मैदानी चुनाव प्रचार और नारों व भाषणों तक उनके ये उपनाम ही छाए हैं। इंदौर के चुनावी समर में बीजेपी और कांग्रेस की ओर से उतरे ज्यादातर प्रत्याशी आम जन मानस में अपने असली नाम से कम और उपनाम से ज्यादा पहचाने जाते हैं। इंदौर-1 के भाजपा प्रत्याशी कैलाश विजयवर्गीय को उनके कई स्थानीय समर्थक ‘‘बॉस’’ कहकर पुकारते हैं, तो इस सीट के मौजूदा कांग्रेस विधायक और उम्मीदवार संजय शुक्ला के लिए ‘‘संजू भैया’’ का संबोधन इस्तेमाल किया जाता है।
महेंद्र हार्डिया का ‘बाबा’ तो सत्यनारायण पटेल का उपनाम ‘सत्तू’’
उम्मीदवारों में शामिल इंदौर-2 के भाजपा विधायक रमेश मेंदोला ‘‘दादा’’, इंदौर-4 की भाजपा विधायक मालिनी लक्ष्मण सिंह गौड़ ‘‘भाभी’’ और इंदौर-5 के भाजपा विधायक महेंद्र हार्डिया ‘‘बाबा’’ के नाम से मशहूर हैं। इंदौर-2 में रमेश मेन्दोला उर्फ ‘‘दादा’’ का गढ़ ढहाने की कोशिश में जुटे कांग्रेस प्रत्याशी का मूल नाम वैसे तो चिंतामणि चौकसे है, लेकिन लोग उन्हें उनके उपनाम ‘‘चिंटू’’ चौकसे से ही जानते हैं। इसी तरह, इंदौर-5 में महेंद्र हार्डिया उर्फ ‘‘बाबा’’ के खिलाफ कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनावी मोर्चा संभाल रहे सत्यनारायण पटेल ‘‘सत्तू’’ पटेल कहकर पुकारे जाते हैं।
अधिकारियों ने बताया कि इंदौर में कई प्रत्याशियों ने 17 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए नामांकन दाखिल करते वक्त अपने मूल नाम के साथ उपनाम भी जोड़ा है ताकि मतदाता जब इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का बटन दबाएं, तो उम्मीदवार की पहचान को लेकर उनमें भ्रम की कोई भी गुंजाइश न रहे।